कोविड-19 महामारी के खतरे से निपटने और पूरी दुनिया के लाखों भक्तों तक पहुँचने
के लिए ई-पूजा दक्षिण 24 परगना जिला प्रशासन द्वारा शुरू किया गया सबसे नए
प्रयासों में से एक है।
इस पहल के माध्यम से, कोई भी व्यक्ति ई-पूजा फॉर्म भरकर, अपने नाम और गोत्र
का उल्लेख और 100 रुपये का भुगतान करके, घर बैठे अपनी पूजा को अभिव्यक्त
कर सकता है।
कपिल मुनि मंदिर में पूजा के बाद, भक्तों को 10 दिनों के अंदर ई-पूजा प्राप्त होगी।
पैक में पूजा प्रसाद और आशीर्वादी फूल होंगे, ताकि शारीरिक रूप से मेले में उपस्थित
नहीं वाले लोग भी, अपने ड्रॉइंग रूम से ही पूजा की धड़कनों एवं दिव्यता को महसूस
कर सके।
The journey to Gangasagar in mediaeval times was a perilous one. With the passage of time, the journey has eased up but still remains exhaustive for the elderly and PWDs, making them hesitant about the sacred pilgrimage despite having a strong desire.
Sagar Bhraman is a thoughtful initiative undertaken by the South 24 Parganas to make the Gangasagar journey for senior citizens and PWD much more comfortable and no one is left behind in their quest for Moksha.
The specially designed tour will be completely monitored by trained caretakers and cover all the main attractions of the Gangasagar Mela.
The service receiver will be picked up by the mela authorities from Babughat around 8:00 am as per the date mentioned in the ticket and dropped off the next day. Food and lodging would be provided by the authorities completely free of charge, so that there is no barrier in the path of faith.
ध्यान मानव की उन आवश्यक गतिविधियों में से एक है जिसे वह दैनिक जीवन की
परेशानियों को पीछे छोड़ने एवं अपने आध्यात्मिक मन से जुड़ने के लिए अभ्यास
करता है। गंगासागर का शांतिमय एवं सुकून भरा परिवेश ध्यान के लिए एक आदर्श
वातावरण प्रस्तुत करता है।
ध्यान केंद्र, गंगासागर मेला 2022 की नवीनतम पहलों में से एक है जो अधिकारियों
द्वारा विशेष रूप से तैयार किया गया है ताकि भक्तों को सागर द्वीप के पवित्र एवं
निर्मल प्रांगण में ध्यान करने का अवसर मिल सके।
प्रत्येक ध्यान सत्र का निरीक्षण एक विशिष्ट साधु द्वारा किया जाता है, जो लोगों को
अपने विश्वास के अथाह ज्ञान से आलोकित करेंगे और हौसला बढ़ाते हुए एवं
प्रतिकूलता के माध्यम से जीवन के मार्गदर्शन के लिए प्रेरित करेंगे।
गंगासागर मनाए जाने की पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों से संसार भर के
भक्तजन अच्छी तरह से परिचित हैं। हालांकि, ज्यादातर भक्त बीते युग के गंगासागर
मंदिर और मेले से जुड़ी अभूतपूर्व ऐतिहासिक छोटी परंतु महत्वपूर्ण बातों और किस्सों
के बारे में नहीं जानते हैं।
सागर संग्रहालय एक अभिनव पहल है जो तीर्थयात्रियों को गंगासागर के इतिहास
को एक इंटरैक्टिव (संवादमूलक) तरीके से स्मरण रखने और उन ऐतिहासिक पलों और
उपलब्धियों को फिर से जीने का अवसर देता है और इसने मेले को भारत की
संस्कृति की एक अटूट विशेषता से जोड़ दिया है।
Millions of pilgrims reach the shores of Gangasager with a desire to attain Moksha and relieve their souls from the circle of life and death. After completing the excruciating journey to Gangasagar, most desire to bring back some memories of their journey.
The Sagar Paridhan initiative will help in accomplishing this desire. The Sagar Paridhan kiosk will house every kind of memorabilia related to Gangasagar. The thoughtful souvenirs will be priced treasures for every devotee and their family members who were unable to attend the mela.
भक्त हर साल परमात्मा की खोज में गंगासागर के पावन तट पर दर्शन के लिए
आते हैं। पंडितों के सुरीले भजन और अगरबत्ती की मोहक सुगंध आध्यात्मिक समाधि
का एक आदर्श स्थल बनाते हैं।
इस साल गंगासागर के प्राचीन तटों पर अधिकारियों ने सागर आरती के आयोजन
द्वारा एक विशेष व्यवस्था की है, जो पूजा प्रसाद की एक भव्य पराकाष्ठा और
दिव्यता एवं परमानंद का प्रकाशस्तंभ है।
तीर्थयात्री एक एकांत क्षेत्र से ईश्वरीय आशीर्वाद में मगन होकर सागर आरती के
विस्मयकारी दृश्यों का अवलोकन कर सकते हैं।
गंगासागर, महाभारत के प्राचीन श्लोकों में उल्लिखित एक तीर्थयात्रा है जो आत्मा की
शांति, परमात्मा की खोज, संसार से मुक्ति...मोक्ष की ओर बढ़ता एक सफर है। मुक्ति
का एक पड़ाव है जो भिन्नताओं की सीमा से परे है और समानता के सूत्रों से बंधा है।
समानता के इसी विश्वास पर चलते हुए, दक्षिण 24 परगना का जिला प्रशासन
पुण्यतारी के रूप में एक नई पहल पेश कर रहे हैं जो पश्चिम बंगाल के 23 जिलों को
एकता के सूत्र में जोड़ने का उत्सव है।
गंगासागर के पवित्र संगम के जल को कमण्डलों में भरा जाएगा और सद्भाव एवं
शांति के भजन-कीर्तन के साथ, वे 23 जिलों की ओर रवाना होंगे जो गंगा के
आशीर्वाद से बंगाल के कोने-कोने में शांति बनाए रखेंगे।
नाव से घर की ओर यात्रा शुरू करने से पहले गंगासागर में क्षेत्रीय लोकगीत, वेशभूषा,
संस्कृति और प्रत्येक जिले के लोक नृत्य को पेश किया जाएगा। मकर संक्रांति के
शुभ दिन, कमण्डलों को पवित्र मंदिरों में रखा जाएगा, जिससे भक्तों को एक
ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने का सुअवसर प्राप्त होगा।
शंख की ध्वनि के साथ, यह मेले को सामान्य से कहीं अधिक ऊँचा दर्जा एवं महिमा
प्रदान करेगा, हर जिले को सौहार्द के बंधन से जोड़ेगा।
गंगासागर की दिव्य भूमि के सफर का मार्ग खतरों से भरा हुआ था, पर गुजरते समय
के साथ, विभिन्न प्रयासों ने इस मुश्किल तीर्थयात्रा को आसान बना दिया है और
कपिल मुनि के आश्रम से आशीर्वाद प्राप्त करना अब काफी सरल हो गया है। इस वर्ष,
जिला अधिकारियों ने सागर संगम के नाम से एक नई पहल की है, जो एक टॉक शो
है और गंगासागर के इतिहास के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करता है।
मेले की हर शाम, मेजबान कुछ रोचक तथ्यों पर रोशनी डालेंगे और मुख्य अतिथि,
विभिन्न विभागों के प्रभारी अधिकारियों और तीर्थयात्रियों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र
में भाग लेंगे जो मेले के बारे में उनकी धारणाओं से अवगत कराएंगे।
गंगासागर मेला को अधिक अभिनंदनीय एवं स्वागत योग्य स्थल बनाने के लिए
जिला अधिकारियों द्वारा की गई विभिन्न पहलों की कुछ झलकियाँ भक्तों को देखने
मिलेंगी। इसके अलावा पर्दे के पीछे रहकर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं
और सरकारी अधिकारियों के चेहरे और उनके कर्तव्य पक्षों को दुनिया के सामने लाया
जाएगा।
ये प्रत्येक चित्ताकर्षक पैनल गंगासागर की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रासंगिक प्रारूप
में उपलब्ध होंगे।