गंगासागर का इतिहास
गंगासागर के धार्मिक संस्कारों का उल्लेख "महाभारत" और "रामायण" के वृतांतों में भी मिलता है जो लगभग 400 ईसा पूर्व की घटनाएँ हैं। हर साल लाखों तीर्थयात्री मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर इस यात्रा के लिए निकलते हैं। 5वीं शताब्दी के महाकवि कालिदास की "रघुवंशम" जैसी साहित्यिक कृतियों में गंगासागर की भक्ति यात्रा का उल्लेख किया गया है। सतयुग के समय से ही सागर द्वीप की तीर्थयात्रा आस्था और मोक्ष की भावना से जुड़ी हुई है। यह समय से भी परे एक प्राचीन विरासत है जो आज भी शांति और निर्वाण की तलाश में अतृप्त आत्माओं की मुक्ति के लिए निरंतर जारी है।
पौराणिक महत्व
गंगासागर की कहानी हमें बताती है कि कैसे भगीरथ ने गंगा के पवित्र जल से अंतिम संस्कार करते हुए अपने पूर्वजों यानी 60,000 सागरपुत्रों की आत्माओं को नरक की यातना से मुक्त कराया था। यह जीवन और मृत्यु के थका देने वाले चक्र से मुक्ति और मोक्ष की कहानी है।
सामाजिक महत्व
मकर संक्रांति के दिन गंगासागर मनाया जाता है। यह केवल एक तीर्थयात्रा नहीं है बल्कि आस्था और आध्यात्मिकता का संगम है। यह देश के विभिन्न हिस्सों में फसलों की कटाई का मौसम है, एक नई शुरुआत का समय है। यह वह पावन समय है जब समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोग सूर्य देव को उनकी महिमा के लिए अपनी श्रद्धा अर्पित करने हेतु एक साथ आते हैं।
ज्योतिषीय महत्व
मकर संक्रांति का शुभ समय वह अवधि है जब सूर्य कर्क (कैंसर) से मकर राशि (कैप्रिकॉर्न) में प्रवेश करता है। यह सर्दियों के मौसम के खत्म होने और बड़े दिनों की शुरुआत का परिचायक है जो अपने साथ एक नए आरंभ की उम्मीद लेकर आता है। इसी पावन समय में गंगासागर का पर्व मनाया जाता है।
सब तीर्थ बार-बार गंगासागर एकबार
यह वाक्य गंगासागर के उस महत्व को उजागर करता है जो भक्तों के मन में प्रवाहित होते रहता है जो जीवन से भी परे अनुभवों से गुजरते हैं। किंवदंतियाँ कहती हैं कि गंगासागर की यात्रा हर कदम पर खतरों से भरी हुई थी। श्रद्धालुओं को जंगल के अचंभों से गुजरना पड़ता था जहाँ बाघ के खतरों का डर था और पानी में अक्सर मगरमच्छों का जोखिम बना रहता था। फिर भी, हर साल वे सभी मोक्ष की तलाश में जीवन में कम से कम एक बार द्वीप के सबसे दक्षिण सिरे पर इस पवित्र यात्रा पर निकल पड़ते थे। और इन्हीं सबसे उभरकर बनी एक धारणा ''सब तीर्थ बार-बार, गंगासागर एकबार''
हालांकि, अब प्रशासन की ओर से बड़े स्तर पर तैयार की गई योजनाओं और विकास से यह तीर्थयात्रा बहुत ही सुरक्षित हो गई है। लाखों भक्त जन मेला प्रांगण में आते हैं और अपने जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाने और निर्वाण प्राप्त करने के लिए यहाँ के पावन जल में डुबकी लगाते हैं।
MONDAY, 15TH JANUARY 2024
THE PUNYA SNAN FROM 15TH JANUARY 2024,
12:30 AM TO
16TH JANUARY 2024, 12:13 AM
EMINENT RITUALS OF GANGASAGAR
Dive into the waves of faith, breathe into the belief, walk on the shores of serenity, and
join the journey of
moksha to shed all sorrow and grief.
GLIMPSES OF GANGASAGAR
Dive into the waves of faith, breathe into the belief, walk on the shores of serenity, and join the journey of moksha to shed all sorrow and grief.