ई-स्नान दक्षिण 24 परगना प्रशासन द्वारा शुरू किया गया एक अनूठा प्रयास है जो महामारी से उत्पन्न चुनौतियों पर काबू पाते हुए मेले को वैश्विक स्तर तक पहुँचाने की एक अभिनव पहल है जिसे साल 2020 में पहली बार शुरू किया गया था यानी उस समय जब कोविड 19 का उदय हुआ था, जिसने दुनिया की गतिशीलता को लम्बे समय के लिए रोक दिया था। हालांकि धरती लगातार बाधाओं से उबरने की कोशिश कर रही थी, पर ई-स्नान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह पहल या परिकल्पना गंगासागर न जा सकने वाले उन भक्तों को मौका देती है कि वे घर पर ही बैठकर मेले का असली आनंद उठा पाएं। अब, सभी ऑनलाइन बुक कर सकते हैं और गंगा जल, मिट्टी, प्रसाद और पुस्तिका से समृद्ध पवित्र पैक के साथ अपने घर से ही आराम से आध्यात्मिक यात्रा का सुख ले सकते हैं। और पढ़ें
आरती समारोह के माध्यम से व्यक्ति का संपूर्ण अस्तित्व और भौतिक सृष्टि के सभी पहलू भगवान को प्रतीकात्मक रूप से अर्पित किए जाते हैं। यह अग्नि के वैदिक अनुष्ठान का वंशज है। मजबूत धार्मिक महत्व वाले हर भक्ति स्थल की तरह, आरती हमेशा से ही एक धड़कन रही है गंगासागर मेला भी सदियों से आस्था के प्रतीक के रूप में जाना जाता रहा है, जिसमें छोटी-छोटी बातों से लेकर बड़ी-बड़ी बातों तक की आस्था को दर्शाया गया है। यहां सदियों से चली आ रही कई परंपराओं और मान्यताओं को एक खूबसूरत गाथा में पिरोया गया है। यह एक ऐसा द्वार है जो लोगों को धर्म की सीमाओं से परे एक साथ लाता है। इस साल हमारी पारंपरिक गंगा आरती को पूरी तरह से नया रूप दिया जा रहा है। इस साल जिला प्रशासन इस पहल को एक कदम और आगे ले जाएगा। 12, 13 और 14 जनवरी 2023 को तीन दिनों तक चलने वाले कार्यक्रमों की एक श्रृंखला में आरती की जाएगी। दिव्य भूमि के शांत तटों के नीचे धामशा की ध्वनि गूंजेगी। ढाकों की थाप, लयबद्ध भजन, शंख की ध्वनि और लाखों लोगों की प्रार्थनाएं इस आयोजन को पहले से कहीं अधिक जीवंत और रंगीन बना देंगी। और पढ़ें
गंगासागर जीवन का ही परिचायक है। अनिश्चितताओं से भरा, भाग्य और खतरों के सूत्र से बंधा, यह अभी भी प्रभावशाली रूप से अति सुंदर है और पवित्र जल में डुबकी लेने से मन में विश्वास की जो किरण प्रज्वलित होती है, वह आत्मा को शुद्ध करेगी और खोलेगी मोक्ष का द्वार। गंगासागर के महापुरुष अक्सर सागर द्वीप की यात्रा को खतरों से भरा बताते हैं जहाँ यात्री को कठोर भौतिक परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। साल 2022 में टेक्नोलॉजी के आगमन के साथ, अब मोक्ष की भूमि की यात्रा को पिलग्रिम ट्रान्सपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम (पीटीएमएस) द्वारा मान्यता दी गई है। जनवरी की सर्द भरी, कोहरे वाली सुबह में शून्य दृश्यता वाले नेविगेशन चैनलों को पीटीएमएस द्वारा चिह्नित किया जाएगा। सभी जहाजों पर मौजूद जीपीएस ट्रैकिंग से डेटा का वास्तविक समय में विश्लेषण प्राप्त होगा जिससे सर्वाधिक उचित प्रकार से भीड़ का प्रबंधन सुनिश्चित होगा। पीटीएमएस की जीपीएस ट्रैकिंग द्वारा शांत-निर्मल तटों में सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किया जाएगा। और पढ़ें
भारत एक ऐसा देश है जहाँ धार्मिक विविधताओं और रंग-बिरंगे त्योहारों को मनाया जाता है। उनमें से एक है गंगासागर मेला। यह संगम एक ऐसा स्थल है जहाँ दुनिया के विभिन्न स्थानों से तीर्थयात्री अपनी आत्मा को शुद्ध करने की उम्मीद के साथ यहाँ इकट्ठा होते हैं। कहने का अर्थ है मकर संक्रांति के दिन, गंगासागर पूरी दुनिया से सांस्कृतिक विविधताओं से जुड़ी अथाह भीड़ का परिचय देता है। कोविड 19 के कारण भक्तों से मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर चलने का अवसर छीन लेना एक घोर अन्याय से कम नहीं है। इसलिए, प्रशासन ने एक मास्टर प्लान बनाया और ई-दर्शन की शुरुआत हुई। यह एक विशेष पहल है जो आस्था के सबसे बड़े मिलन स्थल गंगासागर को उँगलियों के इशारों पर ले आया है। इस साल भी यह प्रयास जारी रहेगा। इसे विशेष रूप से उन तीर्थयात्रियों के लिए तैयार किया गया है जो चाह कर भी इस धार्मिक स्थल की यात्रा नहीं कर सकते थे लेकिन अब घर बैठे ही इस दिव्य यात्रा का अनुभव ले सकते हैं। गंगासागर वेबसाइट नए जमाने की इंटरएक्टिव मीडिया है जो मेला से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी आपके समक्ष प्रस्तुत करेगी और सीधे मेला ग्राउंड से इसका प्रसारण करेगी। एक निर्दिष्ट सोशल मीडिया पेज मेले की नवीनतम गतिविधियों और यादगार क्षणों को भी आपके सामने ले आएगा। और पढ़ें
गंगासागर जैसे विशाल प्राचीन समागम में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की संभावना बनी रहती है। इसलिए भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सीसीटीवी निगरानी प्राथमिक साधन है। तीर्थयात्रियों की वास्तविक समय पर निगरानी की जाएगी, जिसके लिए सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर 1150 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। एकीकृत नियंत्रण कक्ष के माध्यम से 20 ड्रोन आधारित ट्रैकिंग और जीपीएस निर्देशित बुद्धिमान भीड़ निगरानी की जाएगी। नबान्ना नियंत्रण कक्ष को भी लाइव फीड का प्रसारण प्रदान किया जाएगा। और पढ़ें
मोक्ष की खोज में परमात्मा के दिव्य मार्ग पर चलने के लिए, व्यक्ति को अपनी आत्मा को शुद्ध करने की जरूरत है। हम खुद को तो साफ रखते हैं लेकिन अपने आसपास के वातावरण को प्रदूषित कर देते हैं। इस कृत्य से सर्वशक्तिमान के क्रोध का भाजन बनने और धरती के विनाश के अलावा कुछ नहीं होगा। इसलिए, दक्षिण 24 परगना के जिला प्रशासन ने बक्खाली विकास प्राधिकरण के साथ प्लास्टिक के उपयोग को वर्जित किया है। इसके बदले, उन्होंने साल 2023 में गंगासागर को पर्यावरण अनुकूल बनाने का संकल्प लिया है। पृथ्वी के अनुकूल सामानों का वितरण किया जाएगा। स्थानीय जनमानस द्वारा जागरूकता अभियान और प्रचार गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। हर कदम पर कूड़े के प्रबंधन की लगातार निगरानी रखी जाएगी। यथोचित रात्रिकालीन अपशिष्टों की निपटान व्यवस्था के साथ 10,000 से अधिक स्थायी और अर्ध-स्थायी शौचालयों की स्थापना की गई है। 7 ठोस अपशिष्ट प्रबंधन यूनिट सक्रिय होंगी। कूड़े एवं कचरे के संग्रह के लिए 30 ई-कार्ट का प्रबंध किया जाएगा। 3000 कर्मी झाडू लगाने और कूड़ा हटाने का दायित्व संभालेंगे। शांत-निर्मल भूमि को अंदर एवं बाहर से शुद्ध रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। और पढ़ें
एक तीर्थ यात्रा तब तक अधूरी रहती है जब तक उसमें संतों के उपदेशों से अर्जित ज्ञान और प्रज्ञान के अनुभवों का समावेश नहीं होता है और गंगासागर इससे अछूता नहीं है। मानव जाति को मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त करने के लिए, इस तरह की और भी जागृति की खोज करने और ज्ञान के अभाव को पूरा करने के कर्मों से ही प्रवचन केंद्र का उदय हुआ है। यह दक्षिण 24 परगना के जिला अधिकारियों द्वारा शुरू किया गया एक आध्यात्मिक केंद्र है। यह तीर्थयात्रियों को तटों पर चिंतन-मनन का एक दुर्लभ अवसर प्रदान करता है जो ध्यान और पाठ के माध्यम से एक वैदिक आश्रम की शांति और निर्मलता को उनके समक्ष प्रतिबिंबित करता है और उन्हें उनकी सांसारिक परेशानियों को पीछे छोड़ने में सहायक सिद्ध होता है। और पढ़ें
मकर संक्रांति के दौरान पूरे भारत से तीर्थयात्री गंगासागर में एकत्रित होते हैं। वे मोक्ष की खोज में अपने पिछले पापों को नष्ट करने की मंशा से गंगासागर आते हैं। उन तीर्थयात्रियों के कल्याण और उनके परिवारों के साथ उनके संबंध पर नजर रखते हुए, गंगासागर में संचार व्यवस्था को अब 24/7 मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी के माध्यम से आसान बनाया गया है। 7 वाई-फाई जोन, वाई-फाई कॉलिंग और फ्री कॉलिंग जोन परेशानी मुक्त इंटर-कम्यूनिकेशन (अंतर-संचार व्यवस्था) सुनिश्चित करेंगे। और पढ़ें
मेला ग्राउंड के हर कोने में अद्वितीय और सार्वभौमिक क्यूआर कोड को ब्रांड किया जाएगा और लगाया जाएगा। मोबाइल के माध्यम से कोड को स्कैन करने पर, तीर्थयात्री पीने के पानी, एटीएम, शौचालय, स्वास्थ्य केंद्र, रेलवे स्टेशन, क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ कियोस्क और कई अन्य जैसी वांछित सुविधाओं को देख और नेविगेट कर सकते हैं। प्रदर्शित की जाने वाली सामग्री अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में है।